अमेरिका-चीन व्यापार समझौता और भारत-EU FTA: वैश्विक अर्थव्यवस्था की नई दिशा
प्रकाशित: 11 जून 2025 | लेखक: Your Name
1. अमेरिका-चीन व्यापार समझौता: एक नई शुरुआत

भूमिका
अमेरिका और चीन, विश्व की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं, वर्षों से व्यापारिक तनावों का सामना कर रहे हैं। 2025 में लंदन में हस्ताक्षरित Rare Earth Minerals Framework Deal ने वैश्विक व्यापार में नई उम्मीदें जगाई हैं। यह समझौता आपूर्ति शृंखला, तकनीकी सहयोग और रणनीतिक स्थिरता को मजबूत करने वाला है।
समझौते की प्रमुख बातें
- रेयर अर्थ खनिजों पर सहयोग: चीन ने अमेरिका को पारदर्शी और स्थिर आपूर्ति का आश्वासन दिया।
- टैरिफ में कमी: कई उत्पादों पर आयात शुल्क में नरमी, जिससे कंपनियों को राहत।
- तकनीकी संवाद: AI, चिप निर्माण, और हरित ऊर्जा में संयुक्त अनुसंधान।
वैश्विक प्रभाव
यह समझौता तकनीकी और चिप उद्योग को स्थिरता प्रदान करता है, निवेशकों में विश्वास बढ़ाता है, और भारत जैसे देशों के लिए निर्यात के नए अवसर खोलता है।
- सेमीकंडक्टर उद्योग: दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति से वैश्विक चिप संकट में राहत।
- निवेशक विश्वास: मार्केट में स्थिरता और निवेश का माहौल।
- भारत को लाभ: अमेरिकी बाजार में भारत के लिए बढ़ते अवसर।
चुनौतियाँ और संभावनाएँ
समझौते का स्थायित्व विश्वास और पारदर्शिता पर निर्भर है। यदि सफल रहा, तो यह 21वीं सदी के व्यापारिक संतुलन को नया रूप दे सकता है।
और पढ़ें: वैश्विक व्यापार के बदलते रुझान2. भारत–EU फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA): एक वैश्विक साझेदारी की ओर

भूमिका
भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट 2025 की दूसरी तिमाही तक अंतिम रूप ले सकता है। यह समझौता भारत को वैश्विक उत्पादन केंद्र और निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करेगा।
प्रमुख प्रस्तावित बिंदु
- टैरिफ में कटौती: कृषि, वस्त्र, फार्मा, और ऑटोमोबाइल क्षेत्र में कर राहत।
- हरित ऊर्जा सहयोग: सौर और हाइड्रोजन परियोजनाओं में EU का निवेश।
- डिजिटल व्यापार: डेटा सुरक्षा और डिजिटल सेवाओं पर सहमति।
भारत को होने वाले लाभ
यह FTA भारत के निर्यात, FDI, और MSMEs को बढ़ावा देगा।
- निर्यात वृद्धि: वस्त्र, कृषि, और मेड-इन-इंडिया उत्पादों को यूरोपीय बाजार में बढ़त।
- एफडीआई: निवेश नीतियों में पारदर्शिता।
- वैश्विक एकीकरण: स्टार्टअप और MSMEs को यूरोपीय सप्लाई चेन से जोड़ना।
चुनौतियाँ
EU के कठिन गुणवत्ता मानक और घरेलू किसानों की सुरक्षा बड़ी चुनौतियाँ हैं। संतुलित नीति जरूरी है।
निष्कर्ष
भारत–EU FTA भारत के आर्थिक भविष्य को पुनर्परिभाषित करेगा, जो व्यापार, हरित अर्थशास्त्र, और डिजिटल इंडिया के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
और पढ़ें: भारत का वैश्विक व्यापार में उभरता दबदबा
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