अमेरिका और ईरान के बीच पेंडुलम पाकिस्तान

🇺🇸 अमेरिका, 🇮🇷 ईरान और 🇵🇰 पाकिस्तान: त्रिकोणीय समीकरण

1. अमेरिका-ईरान शत्रुता का इतिहास:

  • 1979 की ईरानी क्रांति के बाद से अमेरिका और ईरान के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हैं।
  • अमेरिका ईरान के परमाणु कार्यक्रम और "शिया विस्तारवाद" को लेकर सख्त है।

2. पाकिस्तान की स्थिति: पेंडुलम क्यों?

  • भौगोलिक स्थिति: पाकिस्तान की सीमाएं अफगानिस्तान, ईरान और भारत से लगती हैं। यह अमेरिका और ईरान दोनों के लिए रणनीतिक दृष्टि से अहम है।
  • राजनीतिक झुकाव:
    • अमेरिका से रक्षा सहयोग, IMF ऋण, और अफगान नीति के तालमेल।
    • ईरान से ऊर्जा सहयोग, खासकर पाइपलाइन परियोजनाएं जैसे "IPI गैस पाइपलाइन"।
  • धार्मिक और सामरिक समीकरण: पाकिस्तान एक सुन्नी-बहुल देश है, जबकि ईरान शिया नेतृत्व वाला। इसके बावजूद दोनों में कभी-कभी सहयोग देखने को मिलता है, खासकर अफगान मामले में।

3. पाकिस्तान की दोतरफा नीति:

  • जब अमेरिका अफगानिस्तान में सक्रिय था, पाकिस्तान ने अमेरिकी हितों को साधने का प्रयास किया।
  • वहीं, जब अमेरिका-ईरान तनाव चरम पर पहुंचा, पाकिस्तान ने खुद को 'मध्यस्थ' की भूमिका में प्रस्तुत करने की कोशिश की।

4. पेंडुलम के झूलने के परिणाम:

  • कभी अमेरिका से सैन्य मदद, कभी प्रतिबंध।
  • कभी ईरान से व्यापारिक संपर्क, कभी तनावपूर्ण संबंध।
  • पाकिस्तान की यही दोहरी भूमिका उसे ‘विश्वसनीय साझेदार’ नहीं बनने देती।

🔍 निष्कर्ष:

"पेंडुलम पाकिस्तान" केवल शब्द नहीं, बल्कि उसकी विदेश नीति की जमीनी हकीकत है — जो एक ध्रुव से दूसरे की ओर झूलती रहती है, लेकिन स्थिर नहीं होती। अमेरिका और ईरान के तनाव में पाकिस्तान एक अस्थिर संतुलन बनाए रखने की कोशिश करता है, जिसमें न वह पूरी तरह अमेरिका का बन पाता है, न ईरान का।



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