G7 समिट 2025 जापान के ओसाका शहर में आयोजित हुआ। यह सम्मेलन ऐसे समय में हुआ जब विश्व एक नई तकनीकी क्रांति, जलवायु संकट, ऊर्जा असमानता, वैश्विक युद्धों की आशंकाओं और वैश्विक नेतृत्व में परिवर्तन की ओर बढ़ रहा था। भारत को इस बार भी एक प्रमुख साझेदार देश के रूप में आमंत्रित किया गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए कई रणनीतिक मुद्दों पर वैश्विक नेताओं को संबोधित किया।
भारत की उपस्थिति का विशेष महत्व:
G7 समिट 2025 में भारत की भूमिका केवल एक पर्यवेक्षक की नहीं, बल्कि वैश्विक साझेदारी के सह-निर्माता की थी। भारत की आर्थिक प्रगति, सैन्य मजबूती, डिजिटल तकनीक में विस्तार और वैश्विक दक्षिण की आवाज बनकर उभरने के कारण उसकी उपस्थिति पूरे सम्मेलन में केंद्रीय रही।
वैश्विक संकट में भारत का दृष्टिकोण:
भारत ने रूस-यूक्रेन संघर्ष, इज़राइल-ईरान तनाव और भारत-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच शांति और संवाद को प्राथमिकता देने की अपील की। प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है और विश्व को बहुपक्षीय संवाद, वैश्विक कानून व्यवस्था और मानवीय मूल्यों की ओर लौटने की आवश्यकता है।
ऊर्जा और पर्यावरण पर भारत की रणनीति:
भारत ने G7 देशों को बताया कि उसने 2024 तक 50% बिजली उत्पादन को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य हासिल कर लिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया को भारत के "राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन" और "LiFE" (Lifestyle for Environment) पहल से अवगत कराया, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।
वैश्विक दक्षिण और वैश्विक उत्तर के बीच सेतु:
भारत ने वैश्विक दक्षिण के लिए ऋण राहत, तकनीकी सहयोग और व्यापार पहुंच की मांग दोहराई। भारत ने अफ्रीकी देशों, लातिन अमेरिका, और दक्षिण एशिया के छोटे राष्ट्रों की ओर से आवाज उठाई कि वैश्विक व्यापारिक ढांचे में उनका स्थान न्यायपूर्ण और सहभागी होना चाहिए।
डिजिटल इंडिया: विश्व के लिए मॉडल
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के डिजिटल लोक अवसंरचना (DPI) मॉडल — जैसे कि UPI, CoWIN, और ONDC — को वैश्विक स्तर पर साझा करते हुए बताया कि कैसे इन तकनीकों से पारदर्शिता, तीव्रता और समावेशन को बढ़ावा मिला है। जापान, फ्रांस और ब्राजील ने भारत के साथ डिजिटल सहयोग के नए समझौते किए।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा गवर्नेंस:
भारत ने G7 देशों को आगाह किया कि AI केवल तकनीकी विषय नहीं, बल्कि नैतिक और मानवीय चुनौती भी है। भारत ने AI for All नीति को दोहराते हुए यह बताया कि कैसे AI का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि जैसे क्षेत्रों में मानवता की सेवा के लिए किया जा सकता है।
रक्षा और समुद्री सुरक्षा:
भारत ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समुद्री नियम आधारित व्यवस्था की वकालत की। मोदी ने यह स्पष्ट किया कि भारत एक शांतिप्रिय राष्ट्र है लेकिन यदि राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हुआ, तो वह उसका माकूल जवाब देगा। यह बयान भारत-पाकिस्तान तनाव के संदर्भ में विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा।
आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक मोर्चा:
प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक युद्ध छेड़ने की बात कही। उन्होंने विशेषकर सीमा पार आतंकवाद, आतंक की फंडिंग और साइबर टेररिज्म के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय संधियों की आवश्यकता जताई। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ देश आतंकवाद को राज्यनीति का अंग बनाकर मानवता के विरुद्ध अपराध कर रहे हैं।
बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार:
भारत ने फिर एक बार संयुक्त राष्ट्र, IMF, और WTO जैसे संस्थानों में संरचनात्मक सुधार की माँग रखी। भारत ने तर्क दिया कि 21वीं सदी की आवश्यकताओं और संतुलनों को दर्शाने के लिए वर्तमान वैश्विक संस्थाएं अपर्याप्त हैं।
G7+ इंडिया फ्रेमवर्क:
भारत ने प्रस्ताव दिया कि G7 को अब G7+India फ्रेमवर्क की ओर बढ़ना चाहिए ताकि वैश्विक प्रतिनिधित्व अधिक समावेशी और न्यायपूर्ण हो। इस पर कई देशों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी, विशेष रूप से फ्रांस और कनाडा ने इस विचार को आगे बढ़ाने की सहमति जताई।
विज्ञान, शिक्षा और स्टार्टअप सहयोग:
भारत ने शिक्षा, नवाचार और स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए G7 देशों के साथ साझेदारी की बात की। एक विशेष "G7–India Innovation Corridor" की स्थापना की घोषणा की गई जो AI, CleanTech, Biotech और SpaceTech में सहयोग को बढ़ाएगा।
निष्कर्ष:
G7 समिट 2025 में भारत ने एक निर्णायक, आत्मविश्वासी और समावेशी शक्ति के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। भारत ने दुनिया को यह संदेश दिया कि वह केवल एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि वैश्विक नेतृत्व की दौड़ में एक ठोस दावेदार है। उसकी नीतियाँ, दृष्टिकोण और पहल वैश्विक समस्याओं के समाधान में योगदान देने के लिए तैयार हैं।
भारत अब केवल भविष्य नहीं, वर्तमान की वैश्विक राजनीति, आर्थिक वि
मर्श और रणनीतिक संतुलन का अनिवार्य हिस्सा बन चुका है।
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