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भूमिका
भारत के विदेश संबंधों का इतिहास दो प्रमुख महाशक्तियों के साथ गहरे जुड़ा है—अमेरिका और रूस (पूर्व सोवियत संघ)।
दोनों ने अलग-अलग समय पर भारत के विकास, सुरक्षा और कूटनीति में भूमिका निभाई, लेकिन दोनों के दृष्टिकोण, नीति और भरोसे के स्तर में महत्वपूर्ण अंतर रहा है।
1. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: शुरुआती दौर
कालखंड भारत–अमेरिका भारत–रूस (USSR) 1950s–1960s अमेरिका ने भारत को खाद्यान्न सहायता (PL-480) और कुछ आर्थिक मदद दी, लेकिन पाकिस्तान के साथ सैन्य गठबंधन बनाए रखे। USSR ने भारी औद्योगिक परियोजनाएँ, इस्पात संयंत्र (भिलाई), ऊर्जा और रक्षा उपकरण उपलब्ध कराए; पाकिस्तान को खुला सैन्य समर्थन नहीं। 1971 बांग्लादेश युद्ध में अमेरिका ने पाकिस्तान का समर्थन किया; 7th Fleet भेजा। USSR ने भारत के साथ Indo-Soviet Treaty of Peace, Friendship & Cooperation पर हस्ताक्षर किए और सुरक्षा गारंटी दी।
2. प्रतिबंध और भरोसा: प्रमुख घटनाएँ
घटना अमेरिका की प्रतिक्रिया रूस/USSR की प्रतिक्रिया 1965 भारत–पाक युद्ध भारत और पाकिस्तान दोनों पर सैन्य आपूर्ति रोक, लेकिन पाकिस्तान को गुप्त समर्थन जारी। तटस्थ, पर भारत को तकनीकी और रक्षा समर्थन जारी। 1974 पोखरण-I परमाणु ईंधन और तकनीकी आपूर्ति पर रोक। समर्थन जारी, परमाणु क्षेत्र में खुला सहयोग नहीं लेकिन राजनीतिक दबाव भी नहीं। 1998 पोखरण-II Glenn Amendment के तहत कठोर प्रतिबंध—सैन्य, आर्थिक, तकनीकी सहयोग बंद। खुला समर्थन, संयुक्त राष्ट्र में भारत के पक्ष में वोट, कोई प्रतिबंध नहीं। 2025 ट्रंप 50% टैरिफ व्यापारिक दबाव, कई निर्यात क्षेत्रों पर चोट। रूस–भारत व्यापार में कोई पाबंदी नहीं, बल्कि ऊर्जा और रक्षा सौदों में बढ़ोतरी।
3. रणनीतिक सहयोग की प्रकृति
पहलू अमेरिका रूस सैन्य सहयोग चयनात्मक; राजनीतिक माहौल और अनुपालन पर निर्भर। स्थिर और दीर्घकालिक; S-400, ब्रह्मोस जैसे संयुक्त प्रोजेक्ट। तकनीकी सहयोग हाई-टेक में हिचक; IT व रक्षा टेक पर शर्तें। रक्षा और अंतरिक्ष (ISRO–Glavkosmos) में बिना शर्त। राजनीतिक भरोसा बदलते नेतृत्व और रणनीति पर आधारित। अपेक्षाकृत स्थिर; शीतयुद्ध काल से भरोसे का इतिहास।
4. रूस और अमेरिका की प्रतिबंध नीति में अंतर
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अमेरिका:
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प्रतिबंध एक सक्रिय विदेश नीति उपकरण है।
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Compliance (पालन) की अपेक्षा ज़्यादा, असहमति पर तुरंत आर्थिक/तकनीकी दबाव।
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निर्णय अक्सर कांग्रेस और प्रशासन के राजनीतिक एजेंडे पर आधारित।
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रूस:
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भारत पर औपचारिक प्रतिबंध कभी नहीं लगाए।
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असहमति होने पर भी द्विपक्षीय परियोजनाएँ जारी रखी।
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संबंध अधिक Mutual Interest आधारित, न कि Hegemonic Expectation आधारित।
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5. वर्तमान परिदृश्य (2025)
क्षेत्र अमेरिका रूस ऊर्जा रूस से तेल खरीद पर रोक लगाने का दबाव। भारत को रियायती दर पर तेल और कोयला सप्लाई। रक्षा CAATSA जैसे कानून का खतरा; F-16/F-35 ट्रांसफर पर अनिश्चितता। S-400 डिलीवरी, AK-203 राइफल उत्पादन, Su-30MKI अपग्रेड। व्यापार टैरिफ युद्ध, GSP से बाहर। बढ़ता द्विपक्षीय व्यापार, खासकर ऊर्जा व खाद्यान्न।
6. निष्कर्ष
भारत–अमेरिका संबंधों में अवसर और दबाव साथ-साथ चलते हैं—हर बड़ा सहयोग एक राजनीतिक शर्त के साथ आता है।
भारत–रूस संबंध अपेक्षाकृत स्थिर और भरोसेमंद रहे हैं, हालांकि तकनीकी विविधता और बाजार पहुँच के मामले में अमेरिका कुछ क्षेत्रों में बढ़त देता है।
दोनों महाशक्तियों के साथ संतुलन बनाए रखना ही भारत की “रणनीतिक स्वायत्तता” का असली आधार है। -
सहयोगी था (SEATO, CENTO) और तटस्थ रहने का दावा कर रहा था।
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असर: भारत की रक्षा आपूर्ति (खासकर वायुसेना के लिए स्पेयर पार्ट्स) प्रभावित हुई।
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