नव अंधकार युग: जब विज्ञान शोषण का हथियार बन गया "The New Dark Age: When Science Became a Tool of Exploitation"


🔶 भूमिका: सभ्यता के उत्कर्ष में छिपा अंधकार

विज्ञान और तकनीक का विकास मानवता की सबसे बड़ी विजय माना जाता है, किंतु आज वही विज्ञान – यदि कुछ शक्तिशाली राष्ट्रों के हाथों में एकतरफा केंद्रित हो जाए – तो यह विकास नहीं, दासता का औजार बन जाता है। इतिहास में जिस अंधकार युग (Dark Age) को धार्मिक कट्टरता और ज्ञान विरोधी प्रवृत्तियों से जोड़कर देखा जाता था, अब उसका नया संस्करण उभर रहा है — “नव अंधकार युग”, जिसका आधार डेटा, ड्रोन, डिज़िटल निगरानी, जैव-तकनीक, और साइबर सत्ता है। धर्म के स्थान पर AI, और तलवार की जगह सैटेलाइट।

🔶 नव अंधकार युग की परिभाषा: तकनीकी गुलामी की शुरुआत

“नव अंधकार युग” वह दौर है जहां:

विज्ञान और तकनीक को मानव हित की जगह नियंत्रण और दमन का हथियार बना दिया गया हो।

सूचना, भोजन, स्वास्थ्य और सुरक्षा को डेटा के माध्यम से ‘मोनेटाइज़’ कर लिया गया हो।

केवल 8–10 विकसित देश पूरे विश्व की चेतना और संप्रभुता को तकनीकी औजारों के माध्यम से नियंत्रित करने लगें।

🔶 अंधकार की चार दीवारें: नव अंधकार युग की विशेषताएं

1. तकनीकी उपनिवेशवाद (Technological Colonization)

अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के अधिकांश देश डेटा और डिजिटल संरचना में पश्चिमी देशों पर निर्भर हैं।

ये देश खुद की डिजिटल संप्रभुता (Digital Sovereignty) नहीं रखते; उनके नागरिकों का डेटा अमेरिका-यूरोप की कंपनियों के सर्वरों में स्टोर होता है।

क्लाउड, AI, IoT और डिजिटल करेंसी अब नव उपनिवेशी जंजीरें बन गई हैं।

2. विज्ञान का सैन्यकरण

ड्रोन, साइबर हथियार, अंतरिक्ष उपग्रह, और जैविक हथियार (Bioweapons) का प्रयोग विकास के लिए नहीं, बल्कि शोषण और नियंत्रण के लिए हो रहा है।

उदाहरण: अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान, ईरान, सीरिया जैसे देशों में ड्रोन हमले।

चीन द्वारा जैव निगरानी (Bio-surveillance) के लिए DNA डेटा का संग्रह।

3. सूचना का केंद्रीकरण: “Knowledge Monopolies”

गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़न जैसी कंपनियाँ ‘ज्ञान के गेटकीपर’ बन चुकी हैं।

कम विकसित देशों की भाषाएँ, साहित्य, इतिहास और स्थानीय ज्ञान — इनकी खोज ही नहीं होती।

इनके AI मॉडल अंग्रेजी-सेंट्रिक हैं, जिससे “डिजिटल बहुभाषिक उपेक्षा” फैल रही है।

4. आर्थिक तकनीकी गुलामी

IMF और वर्ल्ड बैंक अब केवल ऋणदाता नहीं, बल्कि डिजिटल संरचना नियंत्रक भी बन गए हैं।

भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, घाना जैसे देशों को डिजिटल भुगतान सिस्टम के नाम पर डेटा परित्याग करना पड़ता है।

🔶 शोषण के आधुनिक औज़ार

पारंपरिक अंधकार युग नव अंधकार युग

धर्म का दुरुपयोग डेटा और AI का दुरुपयोग

तलवार और धर्मयुद्ध ड्रोन और साइबर युद्ध

धार्मिक गुलामी तकनीकी उपनिवेशवाद

शिक्षा का दमन भाषाई-सांस्कृतिक सेंसरशिप

पंडित और मौलवी का प्रभुत्व टेक कंपनियों और सुरक्षा एजेंसियों का नियंत्रण

🔶 नव अंधकार युग के सबसे बड़े शोषणकर्ता देश

1. अमेरिका

AI, क्वांटम कंप्यूटिंग, और सैटेलाइट नेटवर्क के जरिए तीसरी दुनिया पर टोटल स्पेक्ट्रम डॉमिनेंस की रणनीति।

Palantir, Lockheed Martin, NSA, और Google जैसी संस्थाएं डिजिटल युद्ध के स्तंभ हैं।

2. चीन

अपने नागरिकों पर सर्वाधिक डिजिटल निगरानी (Social Credit System) लागू करने वाला देश अब अफ्रीका और एशिया के गरीब देशों पर डेटा कॉलोनी बना रहा है।

“डेटा लोन ट्रैप” (Data Debt Diplomacy) के जरिए भारत-प्रशांत क्षेत्र में प्रभाव बढ़ा रहा है।

3. यूरोपीय संघ

पर्यावरण और क्लाइमेट के नाम पर विकासशील देशों पर टैक्स, तकनीकी बाधाएं और ग्रीन प्रोटेक्शनिज्म थोपता है।

🔶 पीड़ित देश: जिन्हें अंधकार में धकेला जा रहा है

अफ्रीका: इंटरनेट सेवाओं से लेकर स्वास्थ्य डेटा तक, सब कुछ चीन और पश्चिमी कंपनियों के हाथों में।

भारत: 140 करोड़ की आबादी का डेटा—गूगल, फेसबुक, इंस्टाग्राम, और अमेज़न जैसे विदेशी ऐप्स की मुट्ठी में।

बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका: डिज़िटल भुगतान और क्लाउड सर्विस के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भरता।

🔶 क्या समाधान है? भारत और ग्लोबल साउथ की रणनीति


1. तकनीकी आत्मनिर्भरता (Tech Sovereignty)

अपने डेटा सेंटर, क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर, AI मॉडल, और सर्च इंजन का निर्माण।

“डिजिटल भारत” सिर्फ मोबाइल नेटवर्क नहीं, ‘स्वदेशी डिजिटल प्रभुत्व’ होना चाहिए।

2. वैश्विक दक्षिण का तकनीकी मोर्चा

भारत, ब्राज़ील, साउथ अफ्रीका, इंडोनेशिया जैसे देश साझा डिजिटल ब्लॉक बना सकते हैं।

BRICS Tech Bank या Global South Cloud Network की जरूरत।

3. भाषा और संस्कृति का डिजिटल पुनरुद्धार

AI और मशीन लर्निंग को स्थानीय भाषाओं में प्रशिक्षित करना।

हिंदी, तमिल, बंगाली, मलय, स्वाहिली, अरबी जैसे भाषाओं को “डिजिटल प्रथम नागरिक” बनाना।

4. विज्ञान का मानवीकर

तकनीक को युद्ध या निगरानी का हथियार नहीं, मानव सेवा और सामाजिक न्याय का माध्यम बनाया जाए।

भारत को चाहिए कि वह “ह्यूमन सेंट्रिक AI” और “सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी मॉडल” का वैश्विक प्रस्तावक बने।

🔶 निष्कर्ष: अंधकार को उजाले से नहीं, चेतना से परास्त करें

नव अंधकार युग का सबसे खतरनाक पक्ष यह है कि यह बिना किसी युद्ध के, बिना किसी तानाशाही के, पूरे विश्व को सूचनात्मक गुलामी में बदल रहा है। इसका प्रतिरोध केवल हथियारों या टेक्नोलॉजी से नहीं होगा, बल्कि नीति, चेतना और समन्वय से होगा।

भारत और ग्लोबल साउथ के लिए यह समय निर्णायक मोड़ है — या तो वे इस अंधकार में खो जाएँगे, या फिर विज्ञान और तकनीक को विकास, मानवता और स्वतंत्रता के मार्ग पर मोड़कर इस नव अंधकार को प्रकाशमय नव युग में बदल देंगे।


[लेखक: राजीव रंजन | स्रोत: वैश्विक तकनीकी-राजनीतिक विश्लेषण, 2025]


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