चीन: आतंकवाद का नया गॉडफादर — भारत की सीमाओं पर छद्म युद्ध की रणनीति
परिचय: वैश्विक आतंकवाद में चीन की भूमिका अब सिर्फ समर्थन तक सीमित नहीं रही। पाकिस्तान, म्यांमार और बांग्लादेश के माध्यम से भारत की सीमाओं पर छद्म युद्ध छेड़ा गया है।
1. नक्सलवाद और चीन: वैचारिक जड़ें
1967 के नक्सलबाड़ी आंदोलन से लेकर नेपाल के माओवादी विद्रोह तक चीन ने नक्सलियों को वैचारिक और सामग्री आधारित समर्थन दिया। इससे भारत की आंतरिक सुरक्षा को गहरा आघात पहुँचा।
2. पाकिस्तान और चीन का आतंक गठबंधन
चीन ने मसूद अजहर जैसे आतंकियों को संयुक्त राष्ट्र में बचाया और पाकिस्तान के आतंक ढांचे को आर्थिक-सामरिक संरक्षण दिया। यह भारत की संप्रभुता पर सीधा हमला है।
3. पूर्वोत्तर भारत पर डिजिटल और हथियारिक हमला
म्यांमार और बांग्लादेश की सीमाओं से चीन NSCN, PLA, और ULFA जैसे समूहों को हथियार, संचार उपकरण और शरणस्थल मुहैया कर रहा है।
4. पाकिस्तान के आतंकी ढांचे को प्रत्यक्ष चीनी मदद
पठानकोट और पुलवामा जैसे हमलों में मिले ड्रोन, GPS, और रेडियो सेट चीन में बने पाए गए। यह आतंकी नेटवर्क में चीन की सीधी भागीदारी दर्शाता है।
5. डिजिटल युद्ध और सूचना प्रोपेगेंडा
चीन समर्थित सोशल मीडिया अकाउंट्स भारत विरोधी सामग्री फैला रहे हैं। TikTok, Helo जैसे ऐप्स के ज़रिए भारतीय समाज में भ्रम और अस्थिरता फैलाने की कोशिश हुई।
6. अफ्रीका और एशिया में आतंकवाद की वैश्विक रणनीति
तालिबान और अफ्रीकी आतंकियों के साथ संपर्क कर चीन वहां भी अपने भूराजनैतिक हित साध रहा है, जो भारत के लिए अतिरिक्त चिंता है।
7. भारत के लिए रणनीतिक उत्तर
- अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चीन की भूमिका को उजागर करें।
- पूर्वोत्तर और सीमांत क्षेत्रों में टेक्नोलॉजी आधारित निगरानी बढ़ाई जाए।
- चीनी निवेश और डिजिटल कंपनियों पर सख्त नियंत्रण हो।
8. निष्कर्ष
भारत को अब चीन को सिर्फ सीमा विवाद तक नहीं, बल्कि आतंकवाद के एक सक्रिय गॉडफादर के रूप में देखना होगा। कूटनीतिक, सामरिक और डिजिटल स्तर पर भारत को संगठित प्रतिरोध खड़ा करना ही होगा।
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