(ज्योतिष और कूटनीतिक विश्लेषण: भारत बनाम अमेरिका, रूस, चीन, पाकिस्तान की ज्योतिषीय और रणनीतिक यात्रा)
🔷 प्रस्तावना:
21वीं सदी का विश्व अब एक बहुध्रुवीय व्यवस्था में प्रवेश कर चुका है। शीतयुद्ध के पश्चात एकध्रुवीय अमेरिकी प्रभुत्व के युग का अवसान हो रहा है और भारत जैसे देश अब वैश्विक संतुलन के निर्णायक केंद्र बनते जा रहे हैं। इस पृष्ठभूमि में भारत की विदेश नीति, उसके रक्षा-संबंध, और रणनीतिक गठजोड़ वैश्विक राजनीति के प्रमुख आधार बनते जा रहे हैं। लेकिन इन सभी की एक अदृश्य पृष्ठभूमि भी है – ग्रहों की चाल और राष्ट्रों की कुंडलियाँ, जो इतिहास की धारा को प्रभावित कर सकती हैं।
यह लेख इसी अदृश्य शक्ति — ज्योतिषीय संकेतों और दृश्यमान घटनाओं — के समन्वय से भारत की विदेश नीति की दशा और दिशा को 2025–26 की संदर्भ-रेखा में प्रस्तुत करता है।
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🇮🇳 भारत की राष्ट्रकुंडली और वर्तमान ग्रह दशा:
स्वतंत्रता दिवस: 15 अगस्त 1947, 00:00, दिल्ली
लग्न: कर्क
चंद्र राशि: कर्क
🔭 वर्तमान महादशा: चंद्र महादशा – शुक्र अंतरदशा (2024–2026)
चंद्रमा जनभावनाओं, सुरक्षा, मातृत्व और संवेदनशीलता का कारक है।
शुक्र कूटनीति, सहयोग, सुंदरता, सांस्कृतिक प्रभाव और विदेश संबंधों का प्रतिनिधि ग्रह है।
व्याख्या: यह दशा भारत को भावनात्मक रूप से जागरूक और कूटनीतिक रूप से चतुर बनाती है। भारत इस समय अपने मूल्यों के साथ-साथ वैश्विक रणनीति में स्वतंत्र पथ चुनने की क्षमता प्राप्त कर रहा है। भारत सहयोग तो चाहता है, लेकिन किसी दबाव में नहीं आना चाहता। यह दशा भारत को "वसुधैव कुटुम्बकम्" से "कर बहियां बल अपने" की ओर ले जाती है।
🌑 राहु का दशम भाव में गोचर (2025–26)
दशम भाव – शासन, नेतृत्व, सार्वजनिक छवि और वैश्विक मंच
राहु – छल, चातुर्य, अप्रत्याशित निर्णय
व्याख्या: भारत की वैश्विक नीति इस दौरान साहसी, आश्चर्यजनक और स्वतंत्र मार्ग पर चल सकती है।
🪐 शनि का अष्टम भाव में गोचर – कुम्भ में
अष्टम भाव – गुप्त नीतियाँ, रणनीति, रिसर्च, संकट प्रबंधन
व्याख्या: भारत गहरे रणनीतिक गठबंधन बना सकता है, परंतु यह काल गोपनीय योजनाओं और अस्थिरता की भी चेतावनी देता है।
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अब हम आगे बढ़ेंगे चार प्रमुख देशों – पाकिस्तान, चीन, अमेरिका, और रूस – के साथ भारत के
संबंधों की ज्योतिषीय व कूटनीतिक व्याख्या की ओर।
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