विश्व राजनीति में भारत सर्वहारा, अब बस ग्लोबल साउथ का सहारा"

 

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यह लेख भारत की ऐतिहासिक स्थिति, वर्तमान वैश्विक भूमिका, और ग्लोबल साउथ के लिए उसके नेतृत्व की गहराई से पड़ताल करता है।




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विश्व राजनीति में भारत सर्वहारा, अब बस ग्लोबल साउथ का सहारा



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🔶 प्रस्तावना: उपेक्षित से नेतृत्वकर्ता बनने की यात्रा


"भारत एक समय था जब विश्व राजनीति का हाशियाई पात्र था, आज वह उस दुनिया का नैतिक धुरी बनता जा रहा है जिसे 'ग्लोबल साउथ' कहा जाता है।"


यह यात्रा केवल आर्थिक नहीं, नैतिक और ऐतिहासिक चेतना की यात्रा है। भारत, जिसने उपनिवेश झेला, वैश्विक मंचों पर उपेक्षा सही, कभी G7 का हिस्सा नहीं बना — वही भारत आज वैश्विक सर्वहारा से ग्लोबल साउथ का सहारा बन गया है।



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🔶 1. भारत: जो खुद उपेक्षित था


🏴 उपनिवेशवाद की विरासत


200 वर्षों तक ब्रिटिश राज में भारत का आर्थिक और सामाजिक शोषण हुआ।


भारत एक समय वैश्विक GDP में 25% तक का भागीदार था — परंतु उपनिवेशवाद ने उसे "विचार और विकास का सर्वहारा" बना दिया।



❄️ शीतयुद्ध काल में दोहरे मानदंड


भारत की गुटनिरपेक्षता को भी अक्सर ‘अविकसित राष्ट्रों की चुप्पी’ समझा गया।


संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए रूस और अमेरिका दोनों ही समय-समय पर समर्थन से पीछे हटे।




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🔶 2. ग्लोबल साउथ: वह समूह जिसे कभी कोई सुनता नहीं था


🌍 ग्लोबल साउथ क्या है?


अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया जैसे देश जो पश्चिमी वर्चस्व के कारण हाशिये पर रहे।



🤐 इनकी समस्या:


संसाधनों की लूट


ऋणजाल और विश्व बैंक की कठोर शर्तें


संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर आवाज़ की अनुपस्थिति



🇮🇳 भारत का संबंध:


भारत न केवल इस वर्ग का हिस्सा रहा है, बल्कि अब इसका प्रवक्ता और मार्गदर्शक भी बन गया है।




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🔶 3. कोविड-19: भारत की विश्व को चेतना


💉 वैक्सीन मैत्री:


जब पश्चिमी देश वैक्सीन का भंडारण कर रहे थे, भारत ने 100+ देशों को मुफ्त टीके भेजे।


अफ्रीका, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, फिजी — सभी भारत की नैतिक शक्ति के लाभार्थी बने।



🌐 WHO और UN में भूमिका:


भारत ने वैश्विक वैक्सीन साझेदारी के लिए ‘One Earth, One Health’ का विचार प्रस्तुत किया।


भारत सर्वहारा से सहारा बनने की ओर निर्णायक मोड़ पर था।




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🔶 4. भारत का उदय: रणनीतिक, पर स्वायत्त


🌏 भारत की विदेश नीति:


अमेरिका से रक्षा सहयोग, रूस से ऊर्जा संबंध, और ईरान-फ्रांस जैसे देशों से संप्रभु वार्ता।


भारत किसी खेमे का हिस्सा नहीं — बल्कि अपने विचारों का केंद्र है।



🌐 वैश्विक मंचों पर नेतृत्व:


G20 की अध्यक्षता में भारत ने ‘ग्लोबल साउथ’ की चर्चा को केंद्र में लाया।


BRICS, SCO और QUAD — तीनों में संतुलन बनाते हुए भारत ने विकासशील देशों की आवाज़ को वैश्विक एजेंडा में शामिल किया।




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🔶 5. अफ्रीका और भारत: दोस्ती, बराबरी और साझेदारी


🖤 पश्चिम और अफ्रीका:


प्राकृतिक संसाधनों की लूट, दमनकारी निवेश और सैन्य हस्तक्षेप।



🇮🇳 भारत और अफ्रीका:


भारत ने बिना शर्त साझेदारी की — शिक्षा, स्वास्थ्य, टेक्नोलॉजी में निवेश।


भारत की नीति: "हम तुम्हारी तरह संघर्ष कर चुके हैं — हम तुम्हें बराबरी से देखेंगे।"




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🔶 6. वैश्विक संस्थाओं में सुधार की मांग


❗ संयुक्त राष्ट्र में भारत की मांग:


भारत ने बार-बार कहा — UNSC का ढांचा 1945 के बाद बदलना चाहिए।


यदि दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र (भारत) और सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश (भारत) स्थायी सदस्य नहीं — तो यह वैश्विक अन्याय है।



🏛️ WTO, IMF, और World Bank:


भारत ने इन संस्थाओं की विकासशील देशों के अनुकूल पुनर्संरचना की मांग की।




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🔶 7. भारत का 'Digital Public Infrastructure': नया विकास मॉडल


📱 भारत का नवाचार:


आधार, UPI, CoWIN, ONDC जैसे सिस्टम पूरी दुनिया के सामने मॉडल बने।



🌍 ग्लोबल साउथ के लिए उदाहरण:


भारत ने कई देशों को डिजिटल पब्लिक गुड्स फ्री में देने की घोषणा की।



🧭 भारत की बात:


> "विकास केवल धन नहीं, साझा तकनीकी शक्ति भी है।"





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🔶 8. भारत की संस्कृति: केवल भौतिक नहीं, नैतिक शक्ति


🕉️ वसुधैव कुटुम्बकम्:


भारत की नीति भाईचारे, शांति और संवाद की रही है।



📜 गांधी से मोदी तक:


महात्मा गांधी से लेकर नरेंद्र मोदी तक — भारत की विदेश नीति की मूल आत्मा रही है:

"दूसरे की पीड़ा को अपना समझना।"




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🔶 9. आलोचना और आत्मनिरीक्षण


🤔 क्या भारत अभी भी सर्वहारा है?


गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा असमानता — भारत के अंदर अभी भी चुनौतियाँ हैं।



🧭 लेकिन—


भारत का आत्मविश्वास अब ‘याचक’ नहीं, ‘सहायक’ है।


वह सहारा बनता है, दाता नहीं; नेता बनता है, नायक नहीं।




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🔶 10. निष्कर्ष: भारत अब केवल एक देश नहीं, एक धारणा है


"भारत एक ऐसे राष्ट्र का नाम है जो हारा, गिरा, जला — फिर भी खड़ा हुआ, और अब उन सबके लिए खड़ा है जो गिराए गए, जलाए गए, और हाशिये पर धकेले गए।"


भारत सर्वहारा की चेतना के साथ ग्लोबल साउथ का मार्गदर्शक बन चुका है। वह न साम्राज्यवादी है, न समाजवादी — वह केवल "सहभागी" और "सहायक" है।



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✍️ अंतिम पंक्तियाँ:


> "विश्व राजनीति में भारत सर्वहारा,

अब बस ग्लोबल साउथ का सहारा।"






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✍️ लेखक: राजीव रंजन


🌐 स्रोत: samaykibat.com

📅 दिनांक: 7 जुलाई 2025

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