🔰 प्रस्तावना
भारत अब एक वैश्विक शक्ति बनने के द्वार पर खड़ा है। वह केवल दक्षिण एशिया में नेतृत्व की आकांक्षा नहीं रखता, बल्कि Global South का पथ-प्रदर्शक बनने की तैयारी कर रहा है। परंतु यह प्रश्न अत्यंत गंभीर है:
> "क्या भारत वास्तव में वैश्विक कूटनीति में मार्गदर्शक बन सकता है, जब त्रिनिदाद और टोबैगो, घाना, फिजी जैसे छोटे राष्ट्र भी उसके प्रस्तावों के समर्थन या विरोध में निर्णायक भूमिका निभा रहे हों?"
इस लेख में हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि:
छोटे राष्ट्रों की आज की विश्व राजनीति में क्या भूमिका है?
भारत की क्या रणनीति है इन्हें जोड़ने की?
NAM और SAARC जैसे संगठनों में भारत की स्थिति अब क्या है?
क्या भारत केवल भावनात्मक संबंधों से आगे बढ़कर इन राष्ट्रों के साथ रणनीतिक साझेदारी बना सकता है?
---
🌍 1. वैश्विक राजनीति का नया युग: छोटे देश, बड़ी भूमिका
✅ संयुक्त राष्ट्र और मल्टीलेटरलिज्म
UNO, WHO, WTO, IMF जैसे वैश्विक संस्थानों में हर राष्ट्र को एक वोट का अधिकार है।
यही वोट, चाहे वह घाना का हो या त्रिनिदाद का, भारत के वैश्विक प्रस्तावों को बना या बिगाड़ सकता है।
✅ चीन की समझदारी
चीन ने यह पहले ही समझ लिया था। उसने BRI (Belt and Road Initiative) के ज़रिए छोटे देशों को कर्ज और निवेश के माध्यम से अपने पक्ष में कर लिया है।
अफ्रीका, कैरेबियन, प्रशांत द्वीप समूह — चीन की प्रभावी पकड़ है।
✅ भारत के लिए सीख
भारत को भावनात्मक या सांस्कृतिक संबंधों से आगे बढ़कर आर्थिक, तकनीकी और रणनीतिक साझेदारी बनानी होगी।
---
🇮🇳 2. भारत की रणनीति: Global South के पथप्रदर्शक की भूमिका
✅ G20 में अफ्रीकी यूनियन की स्थायी सदस्यता
यह भारत की पहल थी कि अफ्रीकी यूनियन को G20 में पूर्ण सदस्यता दी जाए। इससे भारत ने यह दिखाया कि वह केवल "बड़े देशों का क्लब" नहीं, बल्कि विकासशील देशों का नेतृत्व चाहता है।
✅ 'Vaccine Maitri' और 'डिजिटल मित्रता'
भारत ने कोरोना महामारी के दौरान 100+ देशों को वैक्सीन भेजी — इनमें से अधिकांश छोटे राष्ट्र थे।
UPI, CoWIN जैसे प्लेटफॉर्म अब घाना, मॉरीशस, भूटान, और त्रिनिदाद जैसे देशों में डिजिटल संप्रभुता का मॉडल बन रहे हैं।
✅ FTA और व्यापार रणनीति
भारत अब LAC (Latin America and Caribbean), Africa और ASEAN देशों के साथ नए व्यापार समझौते पर कार्य कर रहा है।
भारत की ONDC, RuPay, और आयुर्वेद आधारित एक्सपोर्ट नीति इन देशों को जोड़ सकती है।
---
🌐 3. त्रिनिदाद, घाना, फिजी — क्यों हैं ये महत्वपूर्ण?
🌴 त्रिनिदाद और टोबैगो:
कैरेबियन में भारतवंशियों की बहुसंख्या (करीब 35%)।
भारत के लिए राजनीतिक रूप से समर्थन और यूएन वोट का केंद्र।
भारत ने वहां पर्यटन, डिजिटल स्वास्थ्य, और फिल्म सहयोग में पहल की है।
🌍 घाना:
पश्चिम अफ्रीका में लोकतांत्रिक और स्थिर देश।
भारत की फार्मा, शिक्षा, टेक्नोलॉजी की जबरदस्त मांग है।
2022 में भारत-घाना 'Joint Commission' बनी और डिफेंस कॉर्पोरेशन की बात हुई।
🌊 फिजी:
प्रशांत द्वीपों में चीन से मुकाबले के लिए भारत की उपस्थिति जरूरी।
भारतवंशियों की बड़ी जनसंख्या और राजनीति में प्रभावी भागीदारी।
---
🧭 4. NAM और SAARC: अतीत के गौरव, वर्तमान की निष्क्रियता
🕊️ NAM – Non-Aligned Movement
स्थापित: 1961, भारत के प्रधानमंत्री नेहरू के नेतृत्व में।
उद्देश्य: शीतयुद्ध के दो गुटों से दूरी बनाना।
आज: शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद NAM की प्रासंगिकता घटी।
भारत अब इस मंच में सदस्य है लेकिन सक्रिय भागीदारी नहीं दिखाता।
🕸️ SAARC – South Asian Association for Regional Cooperation
स्थापित: 1985, मुख्यालय: काठमांडू
उद्देश्य: दक्षिण एशियाई देशों के बीच सहयोग
सदस्य: भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, भूटान, मालदीव, अफगानिस्तान
2014 के बाद SAARC लगभग निष्क्रिय, पाकिस्तान के कारण प्रगति अवरुद्ध।
भारत अब SAARC की जगह BIMSTEC और IORA को प्राथमिकता देता है।
✅ निष्कर्ष: भारत अब पुराने मंचों को छोड़ नई वास्तविकताओं के अनुसार मंचों की तलाश में है।
---
🌟 5. भारत की 'Soft Power' और उसकी सीमाएँ
✅ कहाँ है ताकत?
क्षेत्र भारत की Soft Power
संस्कृति योग, रामायण, हिंदी, भारतवंशी समाज
शिक्षा ICCR स्कॉलरशिप, ITEC प्रोग्राम
स्वास्थ्य आयुर्वेद, मेडिकल टूरिज्म
तकनीक UPI, CoWIN, Digital Public Infrastructure
❌ कहाँ है कमजोरी?
भारत की सहायता धीमी, प्रक्रियात्मक और कम प्रचारित होती है।
चीन की तुलना में भारत की आर्थिक सहायता और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता अभी कम है।
छोटे देशों को भारत की उपस्थिति का स्थायी, संस्थागत अनुभव नहीं है।
---
🔧 6. भारत के लिए भविष्य की रणनीति
1. Global South Secretariat की स्थापना:
दिल्ली या किसी अफ्रीकी राजधानी में भारत की अध्यक्षता में स्थायी सचिवालय।
2. Mini G20 Summits:
घाना, त्रिनिदाद, फिजी जैसे देशों में क्षेत्रीय G20 मीटिंग करना।
3. Diaspora Diplomacy 2.0:
भारतीय मूल लोगों को रणनीतिक भागीदारी में जोड़ना।
4. Digital Global South Model:
डिजिटल तकनीकों का साझा प्रयोग — भारत की विशिष्ट पहचान बने।
---
🔚 निष्कर्ष: छोटे देश, बड़ी नीति
भारत यदि विश्वनीति का मार्गदर्शक बनना चाहता है, तो उसे अमेरिका, चीन, रूस की तुलना में त्रिनिदाद, घाना, और फिजी जैसे देशों के साथ नई साझेदारी की भाषा बोलनी होगी।
ये देश अब केवल वोट नहीं हैं — ये “नई वैश्विक नैतिकता और सहयोग” के वाहक हैं। भारत को चाहिए कि वह इन्हें:
सहायक नहीं, सह-निर्माता माने।
उपेक्षित नहीं, उपयुक्त सहयोगी समझे।
---
🪔 अंतिम शब्द:
“घाना और त्रिनिदाद जैसे राष्ट्रों के बिना भारत की विश्वनीति अधूरी है
।”
> 🌏 भारत जब तक ‘Global South’ को गले नहीं लगाता, तब तक वह 'Global Leader' नहीं बन सकता।
📌 यदि आप चाहें, तो इस लेख को HTML + SEO फॉर्मेट, PDF, या Infographic Poster में भी बदला जा सकता है।
टिप्पणियाँ