भारत की वैश्विक नीति: दिशाहीनता या रणनीतिक संतुलन? | India’s Global Policy

भारत की वैश्विक नीति: दिशाहीनता या रणनीतिक संतुलन? | India’s Global Policy

भारत की वैश्विक नीति: दिशाहीनता या रणनीतिक संतुलन?
India’s Global Policy: Adrift or Strategic Balance?

BRICS, SCO, QUAD, SAARC, BIMSTEC और NAM के संदर्भ में एक आलोचनात्मक विश्लेषण
A Critical Analysis in Context of Multilateral Forums

🔷 भूमिका | Introduction

21वीं सदी में भारत ने "वसुधैव कुटुंबकम्" से प्रेरित होकर विश्वगुरु बनने की आकांक्षा व्यक्त की। हालांकि, BRICS, SCO, QUAD, SAARC, BIMSTEC और NAM जैसे मंचों में इसकी भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। क्या भारत की विदेश नीति दिशाहीन हो गई है, या यह एक जटिल बहुध्रुवीय विश्व में रणनीतिक संतुलन बनाए रखने की कोशिश है? यह लेख भारत की कूटनीति की कमजोरियों और ताकत का आलोचनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जिसमें हाल के भू-राजनीतिक विकास और X पर जनमत शामिल हैं।

🔷 1. BRICS: अवसर या अधीनता? | BRICS: Opportunity or Subordination?

BRICS में चीन का आर्थिक प्रभुत्व (2024 में BRICS देशों के कुल GDP का ~70% योगदान) और रूस की भू-राजनीतिक प्राथमिकताएँ भारत के प्रभाव को सीमित करती हैं। 2023 के जोहान्सबर्ग शिखर सम्मेलन में BRICS+ विस्तार ने भारत की स्थिति को जटिल किया। भारत ने न्यू डेवलपमेंट बैंक के माध्यम से प्रभाव बनाए रखा, लेकिन यह मंच अब चीन की BRI और रूस की यूरेशियन नीतियों का अनुसरण करता प्रतीत होता है। X पर कुछ पोस्ट भारत की तटस्थता को "रणनीतिक कमजोरी" बताते हैं, जबकि अन्य इसे "लचीलापन" मानते हैं।

  • उपलब्धि: G20 2023 में अफ्रीकी संघ की सदस्यता में भारत की भूमिका।
  • चुनौती: BRICS में भारत की आवाज़ को चीन का प्रभुत्व दबाता है।

🔷 2. SCO: अलगाव या रणनीतिक उपस्थिति? | SCO: Isolation or Strategic Presence?

SCO में भारत की स्थिति चुनौतीपूर्ण है। 2023 समरकंद शिखर सम्मेलन में भारत ने BRI का विरोध किया, लेकिन इसे समर्थन नहीं मिला। सीमापार आतंकवाद पर भारत की चिंताएँ अनसुनी रहीं। हालांकि, भारत ने SCO स्टार्टअप फोरम जैसे सांस्कृतिक और डिजिटल सहयोग को बढ़ावा दिया। X पर चर्चाएँ SCO को "चीन-केंद्रित" मंच बताती हैं।

  • उपलब्धि: 2023 में SCO शिखर सम्मेलन की मेजबानी।
  • चुनौती: आतंकवाद और BRI पर भारत की चिंताएँ अनसुनी।

🔷 3. QUAD: प्रभावी मंच या कागजी बाघ? | QUAD: Effective Forum or Paper Tiger?

QUAD को चीन के खिलाफ इंडो-पैसिफिक रणनीति का हिस्सा माना जाता है, लेकिन 2024 डेलावेयर शिखर सम्मेलन में ठोस सैन्य परिणामों का अभाव रहा। भारत ने iCET जैसे रक्षा और प्रौद्योगिकी साझेदारी को मजबूत किया, लेकिन अमेरिका की NATO और AUKUS पर प्राथमिकता QUAD की गति को धीमा करती है। X पर कुछ उपयोगकर्ता QUAD को "अमेरिका-केंद्रित" बताते हैं।

  • उपलब्धि: मालाबार अभ्यास और तकनीकी सहयोग।
  • चुनौती: QUAD की रणनीति अस्पष्ट और घोषणात्मक।

🔷 4. SAARC: मृत्यु या पुनर्जनन की संभावना? | SAARC: Dead or Revivable?

भारत-पाकिस्तान तनाव ने SAARC को 2016 से निष्क्रिय कर दिया। भारत ने BIMSTEC को विकल्प बनाया, लेकिन मालदीव और श्रीलंका में भारत-विरोधी भावनाएँ क्षेत्रीय प्रभाव की चुनौतियों को दर्शाती हैं। X पर SAARC की विफलता को भारत की "नाकामी" बताया गया।

  • उपलब्धि: बांग्लादेश और भूटान के साथ द्विपक्षीय संबंध।
  • चुनौती: SAARC का पतन और क्षेत्रीय नेतृत्व की कमी।

🔷 5. BIMSTEC: उपेक्षित संभावना | BIMSTEC: Neglected Potential

BIMSTEC भारत का SAARC का विकल्प है, लेकिन 2022 कोलंबो शिखर सम्मेलन के बाद परिणाम सीमित हैं। कलादान प्रोजेक्ट जैसे प्रयास धीमे हैं। X पर BIMSTEC को "कागजी संगठन" बताया गया।

  • उपलब्धि: थाईलैंड और म्यांमार के साथ सहयोग।
  • चुनौती: संसाधनों और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी।

🔷 6. NAM: ऐतिहासिक स्मृति या प्रासंगिक रणनीति? | NAM: Historical Relic or Relevant Strategy?

NAM का महत्व शीत युद्ध के बाद कम हुआ है। भारत की रूस और अमेरिका के साथ संतुलन रणनीति NAM की भावना को कमजोर करती है। 2024 के NAM शिखर सम्मेलन में भारत की भूमिका सीमित रही। X पर NAM को "अतीत की छाया" कहा गया।

  • उपलब्धि: G20 में ग्लोबल साउथ की वकालत।
  • चुनौती: NAM की अप्रासंगिकता और रणनीतिक अस्पष्टता।

🔷 7. भारत की विदेश नीति: भ्रम या बहु-संरेखण? | India’s Foreign Policy: Confusion or Multi-Alignment?

भारत की बहु-संरेखण रणनीति लचीलापन प्रदान करती है, लेकिन निर्णयहीनता और अवसरवाद के रूप में देखी जा सकती है। उदाहरण: रूस से 40% तेल आयात (2024) और अमेरिका के साथ रक्षा सौदे।

पूर्व नीति | Past Policy वर्तमान स्थिति | Present Condition
गुटनिरपेक्षता QUAD और SCO में संतुलन
रणनीतिक स्वायत्तता अवसरवाद और अस्पष्टता
नैतिक नेतृत्व चुप्पी या प्रतीकात्मक उपस्थिति
क्षेत्रीय नेतृत्व SAARC का पतन, BIMSTEC की सुस्ती

🔷 8. निष्कर्ष | Conclusion

भारत की विदेश नीति एक दोराहे पर है: यह वैश्विक मंचों पर उपस्थित है, लेकिन निर्णायक प्रभाव की कमी है। बहु-संरेखण इसे लचीलापन देता है, लेकिन नेतृत्व की अनुपस्थिति इसकी विश्वसनीयता को कमजोर करती है। भारत को अपनी रणनीति को परिष्कृत करना होगा ताकि यह विश्वगुरु की आकांक्षा को साकार कर सके।

✅ सुझाव | Recommendations

  • ग्लोबल साउथ एलायंस: जलवायु और प्रौद्योगिकी केंद्रित नया मंच शुरू करें।
  • SCO और BRICS: मध्य एशिया और अफ्रीकी देशों के साथ गठजोड़ बनाएँ।
  • SAARC और BIMSTEC: SAARC में सीमित सहयोग शुरू करें; BIMSTEC के लिए $1 बिलियन फंड बनाएँ।
  • QUAD: संयुक्त गश्ती और 5G सहयोग की वकालत करें।
  • डिजिटल कूटनीति: X पर नीतियों का प्रचार करें।
“भारत की विदेश नीति तब तक अधूरी रहेगी जब तक यह उपस्थिति को नेतृत्व में नहीं बदलती।”

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