भारत की वैश्विक नीति: संकट, संतुलन, या विश्व नेतृत्व की ओर? | India’s Global Policy

भारत की वैश्विक नीति: संकट, संतुलन, या विश्व नेतृत्व की ओर?
India’s Global Policy: Crisis, Balance, or Path to Global Leadership?

BRICS, SCO, QUAD, SAARC, BIMSTEC, NAM और डिजिटल कूटनीति के संदर्भ में एक गहन विश्लेषण
An In-Depth Analysis in Context of Multilateral Forums and Digital Diplomacy

🔷 भूमिका | Introduction

21वीं सदी के तीसरे दशक में भारत ने "वसुधैव कुटुंबकम्" और विश्वगुरु बनने की आकांक्षा के साथ वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति मजबूत की है। G20 की सफल अध्यक्षता (2023), वैक्सीन कूटनीति, और रूस-यूक्रेन संकट में तटस्थता ने भारत को एक उभरती शक्ति के रूप में स्थापित किया। फिर भी, BRICS, SCO, QUAD, SAARC, BIMSTEC, और NAM जैसे मंचों में इसकी भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। क्या भारत की विदेश नीति दिशाहीन और प्रतिक्रियाशील हो गई है, या यह बहुध्रुवीय विश्व में रणनीतिक संतुलन की कला है? यह लेख भारत की कूटनीति की कमजोरियों, ताकत, और भविष्य की संभावनाओं का आलोचनात्मक और विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जिसमें X पर जनमत और हाल के भू-राजनीतिक विकास शामिल हैं।

🔷 1. BRICS: वैश्विक विकल्प या चीन का मंच? | BRICS: Global Alternative or China’s Platform?

BRICS (2009 में स्थापित) को उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए G7 के विकल्प के रूप में देखा गया। भारत ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) और आपातकालीन रिज़र्व व्यवस्था (CRA) में योगदान दिया। हालांकि, 2023 के जोहान्सबर्ग शिखर सम्मेलन में BRICS+ विस्तार (मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब, UAE, अर्जेंटीना) ने मंच को जटिल बनाया। चीन का आर्थिक प्रभुत्व (2024 में BRICS GDP का ~70%) और रूस की यूरेशियन नीतियाँ भारत के प्रभाव को सीमित करती हैं। भारत की BRI विरोधी स्थिति को समर्थन नहीं मिला। X पर कुछ पोस्ट (2024) भारत को "मूक दर्शक" बताते हैं, जबकि अन्य इसे "रणनीतिक लचीलापन" मानते हैं।

  • उपलब्धि: NDB के माध्यम से $30 बिलियन प्रोजेक्ट्स और G20 2023 में अफ्रीकी संघ की सदस्यता।
  • चुनौती: चीन का प्रभुत्व और भारत का सीमित नेतृत्व।

🔷 2. SCO: भारत की सीमित आवाज़ | SCO: India’s Limited Voice

भारत 2017 में SCO का पूर्ण सदस्य बना, लेकिन चीन और रूस का वर्चस्व मंच को उनके हितों के अनुरूप बनाता है। 2023 समरकंद शिखर सम्मेलन में भारत ने BRI का विरोध किया, लेकिन इसे समर्थन नहीं मिला। सीमापार आतंकवाद पर भारत की चिंताएँ अनसुनी रहीं। भारत ने SCO स्टार्टअप फोरम जैसे सांस्कृतिक और डिजिटल सहयोग को बढ़ावा दिया। X पर चर्चाएँ (2024-2025) SCO को "चीन-रूस गठजोड़" बताती हैं।

  • उपलब्धि: 2023 में SCO शिखर सम्मेलन की मेजबानी और मध्य एशिया में उपस्थिति।
  • चुनौती: आतंकवाद और BRI पर भारत की चिंताएँ अनसुनी।

🔷 3. QUAD: इंडो-पैसिफिक में भारत की भूमिका | QUAD: India’s Role in the Indo-Pacific

QUAD (2007 में पुनर्जनन) को चीन के खिलाफ इंडो-पैसिफिक में सुरक्षा गठजोड़ के रूप में देखा गया। 2024 के डेलावेयर शिखर सम्मेलन में समुद्री सुरक्षा, स्वास्थ्य, और प्रौद्योगिकी पर सहयोग बढ़ा, लेकिन ठोस सैन्य प्रतिबद्धताओं का अभाव है। भारत ने iCET और मालाबार अभ्यास को मजबूत किया। X पर कुछ उपयोगकर्ता (2025) QUAD को "अमेरिका-केंद्रित" बताते हैं।

  • उपलब्धि: भारत-अमेरिका रक्षा सौदे ($4 बिलियन, 2024)।
  • चुनौती: अस्पष्ट रणनीति और अमेरिका की NATO प्राथमिकता।

🔷 4. SAARC: क्षेत्रीय नेतृत्व का संकट | SAARC: Crisis of Regional Leadership

SAARC (1985 में स्थापित) भारत-पाकिस्तान तनाव के कारण 2016 से निष्क्रिय है। मालदीव और श्रीलंका में भारत-विरोधी भावनाएँ क्षेत्रीय प्रभाव की चुनौतियों को दर्शाती हैं। X पर SAARC की विफलता को भारत की "सबसे बड़ी नाकामी" बताया गया।

  • उपलब्धि: बांग्लादेश ($2 बिलियन व्यापार) और भूटान के साथ संबंध।
  • चुनौती: पाकिस्तान के साथ तनाव और क्षेत्रीय सहयोग की कमी।

🔷 5. BIMSTEC: क्षेत्रीय विकल्प या अधूरी परियोजना? | BIMSTEC: Regional Alternative or Incomplete Project?

BIMSTEC (1997 में स्थापित) SAARC का विकल्प है, लेकिन 2022 कोलंबो शिखर सम्मेलन के बाद प्रगति धीमी रही। कलादान प्रोजेक्ट में देरी और संसाधनों की कमी ने इसे कमजोर किया। X पर BIMSTEC को "नाममात्र का संगठन" बताया गया।

  • उपलब्धि: भारत-थाईलैंड व्यापार ($16 बिलियन, 2024)।
  • चुनौती: संसाधनों और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी।

🔷 6. NAM: गुटनिरपेक्षता का पुनर्जनन? | NAM: Reviving Non-Alignment?

NAM (1961 में स्थापित) का महत्व कम हुआ है। 2024 के युगांडा शिखर सम्मेलन में भारत की भूमिका सीमित रही। X पर NAM को "ऐतिहासिक स्मृति" कहा गया।

  • उपलब्धि: G20 2023 में ग्लोबल साउथ की वकालत।
  • चुनौती: रणनीतिक अस्पष्टता और NAM की अप्रासंगिकता।

🔷 7. डिजिटल कूटनीति और जनमत | Digital Diplomacy and Public Opinion

X पर भारत की विदेश नीति की छवि मिश्रित है। कुछ उपयोगकर्ता भारत की तटस्थता को "कमजोरी" बताते हैं, जबकि अन्य इसे "चतुराई" मानते हैं। भारत ने X पर G20 की सफलता को प्रचारित किया, लेकिन भारत-विरोधी नैरेटिव्स (जैसे मालदीव में "India Out") ने छवि को नुकसान पहुँचाया।

  • उपलब्धि: वैक्सीन कूटनीति का प्रचार।
  • चुनौती: पश्चिमी देशों की तुलना में कमजोर डिजिटल कूटनीति।

🔷 8. भारत की विदेश नीति: संकट या अवसर? | India’s Foreign Policy: Crisis or Opportunity?

भारत की बहु-संरेखण रणनीति लचीलापन प्रदान करती है, लेकिन क्षेत्रीय मंचों की कमी और वैश्विक मुद्दों पर चुप्पी इसकी विश्वसनीयता को कमजोर करती है।

पूर्व नीति | Past Policy वर्तमान स्थिति | Present Condition
गुटनिरपेक्षता QUAD और SCO में संतुलन
रणनीतिक स्वायत्तता अवसरवाद और अस्पष्टता
नैतिक नेतृत्व चुप्पी या प्रतीकात्मक उपस्थिति
क्षेत्रीय नेतृत्व SAARC का पतन, BIMSTEC की सुस्ती

🔷 9. निष्कर्ष | Conclusion

भारत की विदेश नीति वैश्विक मंचों पर उपस्थित है, लेकिन निर्णायक प्रभाव की कमी इसे प्रतीकात्मक बनाती है। बहु-संरेखण और रणनीतिक स्वायत्तता भारत की ताकत हैं, लेकिन नेतृत्व और स्पष्टता की कमी इसकी प्रगति को सीमित करती है।

✅ सुझाव | Recommendations

  • ग्लोबल साउथ एलायंस: जलवायु और डिजिटल सहयोग पर $500 मिलियन का मंच।
  • SCO और BRICS: मध्य एशिया और अफ्रीका में गठजोड़; NDB में $10 बिलियन योगदान।
  • SAARC: भारत-पाकिस्तान व्यापार को $5 बिलियन तक बढ़ाएँ।
  • BIMSTEC: $1 बिलियन फंड और आपदा प्रबंधन ढांचा।
  • QUAD: संयुक्त गश्ती और $2 बिलियन तकनीकी निवेश।
  • डिजिटल कूटनीति: X पर डिजिटल कूटनीति इकाई बनाएँ।
“भारत की विदेश नीति की असली चुनौती उपस्थिति को प्रभाव में बदलना है, संतुलन को नेतृत्व में।”

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