क्या भारत की विश्वनीति दिशाहीन हो गई है

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भारत की वैश्विक नीति का पतन? | Decline of India's Global Policy

भारत की वैश्विक नीति का पतन?
Decline of India's Global Policy?

BRICS, SCO, QUAD, SAARC, BIMSTEC और NAM के संदर्भ में एक समग्र विश्लेषण
An Analytical Overview in Context of Multilateral Forums

🔷 भूमिका | Introduction

21वीं सदी के तीसरे दशक में भारत ने "वसुधैव कुटुंबकम्" से "विश्वगुरु" बनने की आकांक्षा जताई। परंतु अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की कूटनीति अब दिशाहीन, प्रतिक्रियाशील और नेतृत्वविहीन प्रतीत हो रही है।

🔷 1. BRICS: एक टूटती ईंट की दीवार | BRICS: A Crumbling Alliance

  • चीन-रूस का गुट भारत की कूटनीति को दबा रहा है।
  • BRICS+ विस्तार में भारत का प्रभाव सीमित है।
  • अब यह संगठन G7 का विकल्प नहीं, चीन की नीति का विस्तार बन गया है।

🔷 2. SCO: भारत का अलगाव | SCO: India's Strategic Isolation

  • सीमापार आतंकवाद पर भारत की आवाज़ अनसुनी रही।
  • BRI पर भारत अकेला विरोध करता रहा।
  • अफगान संकट में भारत को निर्णय प्रक्रिया में जगह नहीं मिली।

🔷 3. QUAD: अमेरिकी उपेक्षा | QUAD: U.S. Apathy Towards India

  • QUAD निष्क्रिय और घोषणात्मक मंच बन गया है।
  • अमेरिका की प्राथमिकताएं अब NATO और Indo-Pacific के दूसरे पहलुओं पर केंद्रित हैं।

🔷 4. SAARC का पतन | SAARC: A Forgotten Forum

भारत-पाक विवाद ने SAARC को निष्क्रिय कर दिया है। दक्षिण एशिया में भारत की क्षेत्रीय नेतृत्व क्षमता मंचहीन हो चुकी है।

🔷 5. BIMSTEC का असफल प्रयोग | BIMSTEC: Unrealized Potential

भारत का वैकल्पिक मंच BIMSTEC, राजनीतिक इच्छाशक्ति और संसाधनों के अभाव में निष्क्रिय है।

🔷 6. NAM का अर्थहीन हो जाना | NAM: Lost Relevance

भारत की गुटनिरपेक्ष नीति अब खोखली हो गई है। न अमेरिका से स्पष्टता है, न रूस से गहराई। NAM आज केवल एक ऐतिहासिक स्मृति है।

🔷 7. भारत की विदेश नीति में भ्रम | Confusion in India's Foreign Policy

पूर्व नीति | Past Policy वर्तमान स्थिति | Present Condition
गुटनिरपेक्षता QUAD और SCO दोनों में उलझाव
रणनीतिक स्वायत्तता अति-सतर्क संतुलन और निर्णयहीनता
नैतिक नेतृत्व मौन या अवसरवाद
क्षेत्रीय नेतृत्व मंचविहीन प्रभाव

🔷 8. निष्कर्ष | Conclusion

भारत की विश्व नीति आज एक संकट में है — जहां कूटनीतिक उपस्थिति तो है, पर नेतृत्व नहीं। बहुपक्षीय मंचों में उसकी भूमिका प्रतीकात्मक रह गई है, जबकि विश्व में निर्णायक परिवर्तन हो रहे हैं।

✅ सुझाव | Recommendations

  • नई बहुपक्षीय पहल जैसे Global South Alliance की शुरुआत
  • SCO और BRICS में वैकल्पिक रणनीति और स्पष्टता
  • SAARC और BIMSTEC का पुनर्गठन
  • Indo-Pacific में स्पष्ट और मुखर रणनीति
“जब भारत हर मंच पर उपस्थित हो, पर निर्णायक न हो — तब उसकी विदेश नीति केवल प्रतिनिधित्व है, नेतृत्व नहीं।”

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