शांति अब बगावत है


शांति अब बगावत है

शांति अब बगावत है: एक नई क्रांति का आह्वान

लेखक: R. Ranjan

🔥 प्रस्तावना

जब पूरी दुनिया की मीडिया हिंसा, युद्ध, सनसनी और नफ़रत बेच रही हो — ऐसे में शांति की बात करना बगावत जैसा लगता है। आज शांति की मांग करना एक साहसिक कदम है, क्योंकि यह उस व्यवस्था के खिलाफ़ खड़े होने जैसा है, जो शोर को शक्ति और चुप्पी को कमजोरी मानती है।

अब वक्त है कि शांति को एक नए रूप में देखा जाए — "बगावती शांति" के रूप में।

📺 शांति: अब कोई 'पैसिव' विचार नहीं

गांधी जी की अहिंसा एक समय क्रांति थी। लेकिन आज, "शांति" शब्द को या तो कमज़ोरी, या उपेक्षा का प्रतीक बना दिया गया है। मीडिया में शांति की बात गायब है क्योंकि वह ‘TRP’ नहीं लाती। लेकिन यही उसकी ताक़त है।

“अब चुप रह जाना शांति नहीं, अन्याय के सामने खड़ा हो जाना ही असली शांति है।”

🌍 बगावती शांति: क्या है यह विचार?

यह शांति गूंगी नहीं है, यह सवाल करती है। यह शांति सत्ता को झकझोरती है। यह सोशल मीडिया पर झूठ फैलाने वालों को बेनकाब करती है। यह शांति है, लेकिन आक्रामक है — क्योंकि यह सच्चाई की तरह काम करती है।

🎯 क्यों यह विचार हिट हो सकता है?

  • समानांतर नैरेटिव: ट्रेंड से हटकर, लेकिन ट्रेंड को चुनौती देने वाला विचार।
  • युवा जुड़ाव: Gen Z passive peace नहीं, active assertion चाहते हैं।
  • मौजूदा टकरावों पर संवाद: भारत, इज़राइल-फिलिस्तीन, अमेरिका — हर जगह सटीक प्रासंगिकता।

🧠 मीडिया के लिए रणनीति:

  • वीडियो सीरीज़: “शांति की चीख”, “Peace Warriors”, स्लैम पोएट्री रील्स
  • पोस्टर और डिजिटल अभियान: “Shanti = Resistance”, “Speak Peace, Even When It’s Unpopular”
  • सोशल ट्रेंड: #PeaceIsPower, #ShantivadiKrantikari, #बोलो_शांति_से

📚 ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

बौद्ध भिक्षु, गांधी, मार्टिन लूथर किंग – सभी ने शांति को हथियार बनाया। अब वही ऊर्जा डिजिटल दुनिया में लानी होगी।

🔮 निष्कर्ष

TRP की दुनिया में अब मीडिया को सच और संवेदना की जिम्मेदारी उठानी चाहिए। यह लेख किसी शोर का हिस्सा नहीं — एक शांत क्रांति की शुरुआत है।

“अगर तुम ग़लत को देखकर चुप हो, तो तुम भी उसी अपराध का हिस्सा हो।” > "क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो। उसको क्या जो दंतहीन, विषरहित, विनीत सरल हो।।"<

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