वैश्विक आतंकवाद और भारत
21वीं सदी में आतंकवाद एक गंभीर वैश्विक संकट बन चुका है जिसने राष्ट्रों की आंतरिक सुरक्षा, सामाजिक संरचना और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को बुरी तरह प्रभावित किया है। यह न केवल एक देश की समस्या है, बल्कि पूरी मानवता के लिए खतरा है। भारत, जो स्वयं दशकों से आतंकवाद का शिकार रहा है, इस वैश्विक समस्या के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस लेख में हम वैश्विक आतंकवाद की प्रवृत्तियों, प्रमुख संगठन, तकनीकी और आर्थिक पहलुओं, भारत की चुनौतियाँ और रणनीतियाँ तथा वैश्विक सहयोग का समग्र विश्लेषण प्रस्तुत करेंगे।
1. वैश्विक आतंकवाद की वर्तमान स्थिति
1.1 प्रमुख आतंकवादी संगठन:
ISIS (इस्लामिक स्टेट): मध्य पूर्व से शुरू होकर इस्लामी कट्टरता का वैश्विक चेहरा बना।
अल-कायदा: ओसामा बिन लादेन द्वारा स्थापित, जिसने 9/11 जैसे हमले किए।
बोको हराम: नाइजीरिया में सक्रिय, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों को निशाना बनाता है।
तालिबान: अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज होने के बाद फिर से वैश्विक चिंता का विषय।
1.2 वैश्विक प्रवृत्तियाँ:
लोन वुल्फ अटैक: अकेले आतंकवादी द्वारा भीड़भाड़ वाले स्थानों पर हमला।
डिजिटल रेडिकलाइज़ेशन: सोशल मीडिया के ज़रिए युवाओं को कट्टरपंथी बनाना।
सीमाहीन नेटवर्क: आतंकी नेटवर्क अब किसी एक देश तक सीमित नहीं रहे।
2. आतंकवाद के तकनीकी और आर्थिक आयाम
2.1 साइबर आतंकवाद:
आतंकवादी संगठन अब इंटरनेट, सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड एप्स के ज़रिए संचार करते हैं।
साइबर हमलों द्वारा बैंकिंग सिस्टम, सैन्य नेटवर्क और इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुँचाना।
2.2 फंडिंग के स्रोत:
हवाला, ड्रग तस्करी, किडनैपिंग, अवैध हथियारों का व्यापार।
कई बार NGOs और धार्मिक संगठनों की आड़ में भी फंडिंग होती है।
2.3 आँकड़े:
वर्ष
वैश्विक आतंकी हमले
मृतकों की संख्या
प्रमुख क्षेत्र
2015
14,965
38,494
मध्य पूर्व, अफ्रीका
2018
10,900
25,082
दक्षिण एशिया, अफ्रीका
2022
8,200
16,400
अफ्रीका, अफगानिस्तान, भारत
(स्रोत: Global Terrorism Database)
3. भारत और आतंकवाद: ऐतिहासिक एवं वर्तमान परिप्रेक्ष्य
3.1 प्रमुख आतंकी घटनाएँ:
1984: ऑपरेशन ब्लू स्टार और उसके बाद की घटनाएँ
1993: मुंबई सिलसिलेवार बम धमाके
2001: संसद पर हमला
2008: मुंबई 26/11 हमला
2019: पुलवामा आत्मघाती हमला
3.2 चुनौतियाँ:
सीमापार आतंकवाद: पाकिस्तान द्वारा समर्थन प्राप्त संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद की गतिविधियाँ।
आंतरिक उग्रवाद: माओवादी/नक्सलवाद, उत्तर-पूर्व के अलगाववादी आंदोलन।
कट्टरपंथी विचारधाराएँ: धार्मिक ध्रुवीकरण और सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं का ब्रेनवॉश।
3.3 भारत की प्रतिक्रिया:
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की स्थापना
सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक
UAPA, POTA जैसे कानून
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) का सशक्तिकरण
4. भारत की आतंकवाद-रोधी रणनीतियाँ
4.1 सैन्य उपाय:
सीमा सुरक्षा बल, भारतीय सेना, RAW, IB आदि एजेंसियों की सक्रियता।
आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में नियमित सैन्य अभियान।
4.2 कूटनीतिक प्रयास:
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के खिलाफ दस्तावेज़ प्रस्तुत करना।
FATF में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने की पहल।
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकी फंडिंग को उजागर करना।
4.3 सामाजिक उपाय:
कट्टरपंथी सोच को समाप्त करने के लिए शिक्षा और रोजगार के अवसर।
युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पुनर्वास कार्यक्रम।
5. वैश्विक सहयोग में भारत की भूमिका
5.1 द्विपक्षीय सहयोग:
भारत-अमेरिका: खुफिया जानकारी साझा करना, तकनीकी सहयोग
भारत-इज़राइल: ड्रोन, निगरानी तकनीक और प्रशिक्षण
भारत-फ्रांस: साइबर सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी वार्ता
5.2 बहुपक्षीय सहयोग:
BRICS, SCO और G20 जैसे मंचों पर आतंकवाद के विरुद्ध संयुक्त प्रस्ताव
संयुक्त राष्ट्र में Comprehensive Convention on International Terrorism (CCIT) का प्रस्तावक
6. डेटा विश्लेषण और ग्राफिकल चित्रण:
6.1 क्षेत्रीय आतंकवाद हॉटस्पॉट्स:
भारत का नक्शा जिसमें जम्मू-कश्मीर, छत्तीसगढ़, मणिपुर, असम आदि को लाल रंग से चिन्हित किया गया है।
6.2 आतंकवादी घटनाओं की प्रवृत्ति (2000-2023):
ग्राफ: वर्ष बनाम घटनाओं की संख्या
2000: 100 → 2008: 400 → 2013: 650 → 2023: 300 (घटाव)
6.3 भारत बनाम वैश्विक औसत (2023):
क्षेत्र
घटनाओं की संख्या
मृतक
भारत
300
650
विश्व औसत
8200
16400
7. मीडिया और साइबर युद्ध में भारत की चुनौतियाँ
7.1 फेक न्यूज़ और सोशल मीडिया:
युवाओं में नफरत फैलाने वाले वीडियो और संदेश।
आतंकवादियों द्वारा WhatsApp, Telegram, Dark Web का उपयोग।
7.2 सरकार की पहल:
सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल
सूचना मंत्रालय और IT मंत्रालय की निगरानी
जनजागरूकता अभियानों की शुरुआत
8. भविष्य की रणनीति और सुझाव
8.1 तकनीकी नवाचार:
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सुरक्षा निगरानी प्रणाली
फेशियल रिकॉग्निशन और बिग डेटा एनालिटिक्स
8.2 नीति संबंधी सुधार:
आतंकवाद विरोधी कानूनों में संतुलन (मानवाधिकार + सुरक्षा)
राज्यों और केंद्र सरकार में समन्वय
8.3 वैश्विक नेतृत्व में भारत की भूमिका:
भारत को संयुक्त राष्ट्र और G20 जैसे मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ नेतृत्व करना चाहिए।
दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सुरक्षा तंत्र को मजबूत करना।
निष्कर्ष:
आतंकवाद आज केवल सुरक्षा नहीं, बल्कि मानवता, सभ्यता और विकास के लिए भी खतरा बन गया है। भारत, जो स्वयं इस पीड़ा का शिकार रहा है, न केवल अपने देश की रक्षा कर रहा है बल्कि वैश्विक समुदाय को भी इस लड़ाई में मार्गदर्शन प्रदान कर रहा है।
भारत की नीति केवल प्रतिशोध नहीं, बल्कि पुनर्वास, समावेश और समन्वय की है। तकनीक, कूटनीति, सैन्य शक्ति और सामाजिक समरसता के समन्वय से भारत वैश्विक आतंकवाद के विरुद्ध एक स्थायी समाधान का हिस्सा बन सकता है।
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