भारत-अमेरिका संबंधों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
1. भारत-अमेरिका संबंधों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
- भारत ने हमेशा अपनी स्वतंत्र और तटस्थ विदेश नीति को प्राथमिकता दी है।
- अमेरिका भारत को एक सहयोगी के रूप में देखता है, लेकिन अक्सर अपनी शर्तों पर संबंध स्थापित करना चाहता है।
2. अडानी समूह पर अमेरिकी एजेंसियों के आरोप
- अमेरिकी एजेंसियां अडानी समूह पर वित्तीय अनियमितताओं और पारदर्शिता की कमी के आरोप लगा रही हैं।
- यह स्थिति वैसी ही है जैसे हुआवेई के खिलाफ अमेरिकी कार्रवाई।
3. भारत-अमेरिका संबंधों में आर्थिक दबाव
- अमेरिकी नीतियां भारत की स्वतंत्र औद्योगिक नीतियों और बढ़ती आर्थिक ताकत को कमजोर करने का प्रयास कर रही हैं।
- भारतीय शेयर बाजार पर इसका नकारात्मक प्रभाव देखा जा रहा है।
4. चीन और रूस का समीकरण
- अमेरिका चाहता है कि भारत चीन के खिलाफ आक्रामक नीति अपनाए।
- रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की तटस्थता और रूस के साथ पुराने संबंध अमेरिका के लिए असुविधाजनक हैं।
5. कनाडा विवाद और अमेरिका की भूमिका
- कनाडा में खालिस्तानी नेता निज्जर की हत्या और उसके बाद भारत पर आरोपों में अमेरिकी भूमिका ने संबंधों को और जटिल बना दिया है।
6. अडानी विवाद का व्यापक प्रभाव
- अडानी समूह पर लगाए गए आरोप भारतीय औद्योगिक ताकत और वैश्विक साख पर असर डाल सकते हैं।
- यह विवाद अमेरिका की दबाव की राजनीति का हिस्सा प्रतीत होता है।
7. भारत की रणनीति
- आत्मनिर्भरता: भारतीय उद्योगों को अमेरिकी प्रभाव से बचाने के लिए आत्मनिर्भर बनाना।
- कूटनीतिक संतुलन: रूस, चीन, अमेरिका और यूरोप के साथ संतुलित संबंध बनाए रखना।
- अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर स्पष्टता: यह दिखाना कि भारत किसी भी दबाव की राजनीति के आगे झुकने वाला नहीं है।
8. निष्कर्ष
भारत-अमेरिका संबंधों में अडानी विवाद और अन्य मुद्दे तनाव पैदा कर रहे हैं।
भारत को अपनी स्वतंत्रता, लोकतांत्रिक मूल्यों, और आर्थिक विकास की रक्षा करते हुए, वैश्विक राजनीति में संतुलन बनाए रखना होगा।
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